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किसी भी देश में मुद्रा का संचालन वहां की सरकार और केंद्रीय बैंक, रिज़र्व बैंक या फेडरल बैंक के द्वारा किया जाता है। मुद्रा को छापने के लिए एक निर्धारित सीमा में इन बैंको को रिज़र्व सम्पति के तौर पर सोना और विदेशी मुद्रा को अपने पास सुरक्षित रखना पड़ता है। एक निर्धारित सीमा में सोने और विदेशी मुद्रा को सुरक्षित रखने के बाद बैंक अपनी जरूरत के हिसाब से मुद्रा छाप सकते हैं। इसी सम्पति के आधार पर किसी मुद्रा के ऊपर यह लिखा जाता है की “मै (यानि बैंक) धारक को (यानि जिसके पास वह मुद्रा है) 100,500, डॉलर या रुपया अदा करने का वचन देता हूँ। सारे विश्व में सम्पति के तौर पर सोने को प्राथमिकता दी जाती है। अगर हम वर्ल्ड गोल्ड कौंसिल के आंकड़ों को देखें तो वर्ल्ड के टॉप 10 रिज़र्व बैंक ने जितना सोना रिज़र्व रखा है उनके आंकड़े अचंभित करने वाले हैं।
ऊपर दिखाए गए चार्ट में अमेरिका ने 8134 टन सोने को रिज़र्व रखा हुआ है, यह पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है।इसके बाद जर्मनी, इटली और फ्रांस का नंबर आता है। भारत देश की बात करें तो हम इस सूचि में 9वे स्थान पर हैं, और यहाँ रिज़र्व बैंक ने 658 टन सोने को रिज़र्व रखा हुआ है। उपभोक्ता बाजार के तौर पर देखें तो यहाँ पर भारत का दूसरा स्थान हैं। अगर हम पिछले दस साल के आंकड़े देखें जहां पर दुनिया भर के रिज़र्व बैंकों ने सोने को रिज़र्व किया है, तो पिछले दो सालों 2018-2019 में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा बढ़ा है।
यहाँ पर अगर हम देखें तो सोने के सबसे बड़े भंडार पर अमेरिका का कब्ज़ा है। सोना पिछली कई शताब्दियों से विश्वास का प्रतीक रहा है और इसकी कीमत में लगतार बढ़ोतरी भी हुई है। सोने को बैंक द्वारा सुरक्षित रखने के कई तरह की सुरक्षा व्यवस्था को अपन्ना पड़ता है, इसके लिए काफी जगह की भी जरुरत पड़ती है। सोने को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाना भी काफी मुश्किल काम है। सभी देश रिज़र्व सम्पति में सोने के इलावा विदेशी मुद्रा पर भी भरोसा करते हैं, इसमें भी अमेरिकी डॉलर नंबर एक पर है।
क्या रिज़र्व बैंक बिटकॉइन को सुरक्षित सम्पति के तौर पर होल्ड कर सकता है ? यह प्रश्न बहुत दूरदर्शी सोच का नतीज़ा है। बिटकॉइन कीमत को सुरक्षित रखने का अच्छा माध्यम है और यह बात बिटकॉइन की कीमत को देख कर पता चलती है। सुरक्षित सम्पति की कीमत का बढ़ना भी एक देश की आर्थिक स्तिथि को मजबूत बनाता है।इस दिशा में अब विश्व की सरकारों को सोचने की जरुरत है। बिटकॉइन विकेन्द्रीयकृत कम्प्यूटर्स द्वारा संचालित है और इसे सुरक्षित रखना, इसका अदन प्रदान बहुत ही आसान है। रिज़र्व सम्पति के तौर पर इसकी उपयोगिता को कई कंपनियों ने समझा है जैसे ही माइक्रो स्ट्रेटजी। इस कम्पनी ने पिछले साल 15000 डॉलर प्रति बिटकॉइन के हिसाब से करीब 88000 बिटकॉइन लिया है। आज एक बिटकॉइन की कीमत 40000 डॉलर हो गयी है और इस हिसाब से यह कम्पनी एक साल में ही अपने सुरक्षित निवेश को दो गुणा से ज्यादा कर चुकी है।
सोने की शुद्ता की परख करना बहुत मुश्किल है लेकिन बिटकॉइन अपने आप में 24 कैरेट खरा सोना है। सोने को एक जगह से दूसरी जगह लाना ले जाना काफी खर्चीला है और इसके लिए काफी सुरक्षा भी चाहिए। बिटकॉइन को एक जगह से दूसरी जगह भेजना बहुत आसान, कम समय में और बहुत सस्ता है। दुनिया के कई देश इस बारे में विचार कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस USA ने 2015 में सिल्क रोड पर इस्तेमाल किये जाने वाले 44,341 बिटकॉइन को सीज़ किया था।रिसोर्ट में यह भी कहा गया है की यह बिटकॉइन फेडरल बैंक की बेलेन्स शीट में दर्ज है और सरकार के रिज़र्व फण्ड का हिस्सा है। बिटकॉइन की सबसे बड़ी खूबी यह है की यह सीमित है,और इसे और नहीं बनाया जा सकता है। अभी बाजार में करीब 89% बिटकॉइन माइनिंग के द्वारा आ चूका है। अगर दुनिया भर के देशों की सरकार और रिज़र्व बैंक बिटकॉइन को सुरक्षित निवेश के तौर पर अपनाती हैं तो यह देश के वित्य ढांचे को काफी मजबूती दे सकता है।इस बारे में सरकारों को जल्द विचार करना चाहिए।
Thanks wazirx for publishing this article.
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