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रेमिटेंस की कई समस्याओं का समाधान है क्रिप्टो से (Crypto Can Solve Remittance Problems)

By अगस्त 10, 2021सितम्बर 14th, 2021अनुमानित पढ़ने का समय: 4 मिनट

Note: This post has been written by a WazirX Warrior as a part of the “WazirX Warrior program.”

रेमिटेंस क्या है ?

जब एक प्रवासी अपने मूल देश को बैंक, पोस्ट ऑफिस या ऑनलाइन ट्रांसफर से धनराशि भेजता है तो उसे रेमिटेंस कहते हैं। उदाहरण के लिए गल्फ देशों में काम कर रहे भारतीय लोग या अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित और बड़े देशों में सॉफ्टवेर डेवेलपर,डॉक्टर, इंजीनियर या कोई और नौकरी कर रहे प्रवासी भारतीय जब भारत में अपने माता-पिता या परिवार को धनराशि भेजते हैं तो उसे रेमिटेंस कहते हैं। भारत की बात करे तो पूरे विश्व में भारत एक ऐसा देश है जहां पर सबसे अधिक रेमिटेंस की धनराशि आती है,इसके बाद चीन का नंबर है।

अगर हम नीचे दिए गए चार्ट में देखें तो 2016  में भारत में रेमिटेंस का इस्तेमाल करके कुल 62 बिलियन डॉलर भेजा गया है, यह 2017 में बढ़ कर 69 बिलियन डॉलर , 2018 में 78 बिलियन डॉलर , 2019 में 84 बिलियन डॉलर हो गया था। 2020 में कोरोना के कारण इसमें थोड़ी गिरावट जरूर देखी गयी थी लेकिन फिर भी यह 83 बिलियन डॉलर से अधिक था (आंकड़े विकिपीडिया से हैं )।

 रेमिटेंस प्राप्त करने के मामले में भारत ने पड़ोसी देश चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। एक समय था, जब सबसे ज्यादा रेमिटेंस चीन में ही आता था। 2017 में चीन को रेमिटेंस से 64 अरब डॉलर, फिलीपींस को 33 अरब डॉलर, मैक्सिको को 31 अरब डॉलर, नाइजीरिया को 22 अरब डॉलर और मिस्र को 20 अरब डॉलर प्राप्त हुए। कुल मिलाकर पूरी दुनिया में 613 अरब डॉलर राशि का रेमिटेंस के रूप में आदान-प्रदान हुआ। इस तरह पता चलता है कि रेमिटेंस के रूप में कितनी बड़ी राशि का आदान-प्रदान वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के मध्य होता है।

रेमिटेंस भारत सरकार के विदेशी मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो रिज़र्व फण्ड में मुख्य भूमिका निभाता है।

रेमिटेंस की समस्याएँ ?

रेमिटेंस एक तरफ जहां देश की आर्थिक स्तिथि को मजबूत करता है वहीं पर यह रेमिटेंस भेजने वालों को कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इस समस्याओं में सबसे बड़ी समस्या है रेमिटेंस भेजने पर लगने वाली लागत !विश्व बैंक के अनुसार लगभग 200 डॉलर भेजने पर 7.1 प्रतिशत लागत आती है। ये कीमत बहुत ज्यादा है और यही रेमिटेंस की सबसे ज्यादा बड़ी समस्या भी है।

दूसरी बड़ी समस्या है समय। एक बैंक से दूसरे बैंक में रेमिटेंस के द्वारा पैसे भेजने में 2 से 5 दिन का समय लग जाता है। अगर इस बीच बैंक की कोई कोई छुट्टी हो या शनिवार और रविवार बीच में आ जाए तो यह समय बढ़ भी सकता है।

क्रिप्टो से रेमिटेंस की समस्याओं का समाधान

क्रिप्टो इस दोनों समस्याओं का एक ऐसा समाधान है जिसे अपना कर रेमिटेंस के क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। आमतौर पर यह कहा जाता है की क्रिप्टो को रेमिटेंस के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता लेकिन यह सही नहीं है ! क्रिप्टो को अगर हम सही तरीके से समझे तो हम पाएंगे कि क्रिप्टो से न केवल रेमिटेंस कि इन दोनों समस्याओं का समाधान निकल सकता है बल्कि यह रेमिटेंस प्राप्त करने वाले के लिए अर्थिक तौर पर फायदेमंद भी है।

क्रिप्टो में ऐसे बहुत से स्टेबल कॉइन है जिसका इस्तेमाल रेमिटेंस के लिए किया जा सकता है, जैसे कि USDT,BUSD अन्य। इन क्रिप्टो कि कीमत में कभी भी कोई बड़ा बदलाव नहीं आता बल्कि विदेश से अगर कोई USDT ले कर भारत में भेजे तो उसे इसका पैसा जायदा मिलेगा। अगर हम बाकि क्रिप्टो जैसे बिटकॉइन या ईथर कि बात भी करें तो इस से भी रेमिटेंस कि रकम भेजने पर कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि क्रिप्टो द्वारा पैसा भेजने में मात्र कुछ सेकेंड का ही समय लगता है और क्रिप्टो प्राप्त करने वाला इसे तुरंत भारतीय रुपए में बदल सकता है। क्रिप्टो से रेमिटेंस भेजने पर जहां पर समय बहुत ही कम लगेगा वहीं पर यह बहुत ही ज्यादा किफायती भी रहेगा। आप एक डॉलर से पांच डॉलर कि फीस दे कर कितनी ही बड़ी धनराशि को एक जगह से दूसरी जगह भेज सकते हैं।

यहाँ पर एक समस्या आ सकती है और वह है इस सारे लेनदेन का रिकॉर्ड रखना और सरकार को इसकी पूरी जानकारी होना। लेकिन यह कोई बड़ी समस्या नहीं है, क्रिप्टो एक्सचेंज पर आज सभी उपभोक्ताओं कि सम्पूर्ण जानकारी रहती है और सभी लेनदेन के रिकार्ड्स भी। सरकार अगर इसके लिए रुपरेखा तैयार करे और इसके लिए कोई समीति बनाए जो इस सारे लेनदेन के रिकॉर्ड रखे तो यह समस्या भी सुलझ सकती है। सरकार सेबी जैसी संस्था के अंतर्गत इस बारे में नियम व कानून बना कर रेमिटेंस के लिए क्रिप्टो के इस्तेमाल पर विचार कर सकती है। मनीलॉड्रिंग के प्रावधानों के अनुसार क्रिप्टो से रेमिटेंस के लेनदेन को सुरक्षित बनाया जा सकता है।

भारत सरकार कि वित्य संस्था रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया अपने CBDC पर भी काम कर रहा है, यह भी रेमिटेंस के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है।भारत में सरकार द्वारा ई-रूपी कि शुरुआत भी कि जा चुकी है और इसके कारण लोग डिजिटल मुद्रा और इसके इतेमाल को समझना शुरू करेंगे।हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि जल्द ही हम रेमिटेंस कि दुनिया में क्रिप्टो का इस्तेमाल होते हुए देख पाएंगे। रिप्पल नेट के द्वारा यह काम कई देशों में हो भी रहा है लेकिन इसका इस्तेमाल और बड़े स्तर पर किया जाए तो रेमिटेंस का इस्तेमाल करने वालों को कई समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा। इस दिशा में सोच विचार कर, काम करना जरुरी है क्योंकि रेमिटेंस देशों के बीच आर्थिक लेनदेन का एक मुख्य हिस्सा है और रिजर्व फंड का भी।

WazirX Warrior – CryptoNewsHindi

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